गोवा के भीड़ भाड़ से भरी बीच, बाजार एवं क्लबो की दुनिया से दूर दूध सागर की यह यात्रा साहसिक एवं रोमांचकारी भरी दुनिया हैं । इस जलप्रपात (झरना) की उत्पत्ति कर्नाटक और गोवा सीमा के पास माण्डवी नदी पर है। यह गोवा का सबसे उँचा तथा भारत में सबसे ऊंचे जलप्रपातो में 5वे स्थान पर है। यह जलप्रपात पश्चिमी घाट के फाल्स भगवान महावीर वन्यजीव अभ्यारण्य और मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान के बीच स्थित है जो कि “संगुएम तालुका” मे है (संगुएम तालुका अपने वानरमारे जनजाति के लिए प्रसिद्ध है)। माण्डवी नदी की उत्पत्ति कर्नाटक के दक्कन के पठार से होकर पश्चिमी घाट अर्थात सहकारी पर्वत के उच्च चोटी से होकर बहती है नदी का पानी अपने केन्द्र से अत्यधिक गहरी मार्ग से होते हुए पश्चिम में अरब सागर में जाकर मिलती है
इस झरने का पानी 310 मीटर ऊँचाई से होकर पर्वत के बड़े घेरे में बिखर जाता है और इतना स्वच्छ व निर्मल पानी नीचे गिरता है जिससे दूधिया रंग का प्रतीत होता है यही वजह है कि इसका नाम दुध सागर जलप्रपात ( दूध का समुद्र) रख दिया गया । यह देशी व विदेशी सभी पर्यटकों का पसंदीदा स्थान बन गया है। यहां पे आसानी से सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है जो मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों से होकर गुजरती है।
गोवा में आप को बीच व क्लबो की भीड़ भाड़ से इतर एक रोमांचककारी एवं अदभुत दुनिया देखने में आपका पूरा एक दिन का समय लगेगा। यहा आप झरने मे तैरने के साथ साथ अपने चारों ओर बन्दरो के कूदने एवं उछले का भी आनन्द ले सकते हैं, दूधसागर देखने जाने का सही समय मानसून के बाद अक्टूबर में है उस समय यहां का मौसम अत्यंत सुहावना एवं दृश्य मनोरम होता है
जंगल जीप सफारी
दूध सागर जाने के लिए यात्रीयो को लोंडा स्टेशन पर ट्रेन से उतरने के बाद आगे की रास्ता जीप सफारी से करनी पड़ती है जो मोलेम राष्ट्रीय उद्यानके बीच से होकर जाता है जहा पे आप हरे भरे जंगलों और कलकल बहती नदीयो के शोर से होकर गुजरते है जो अत्यंत मनमोहक होता है । वर्तमान मे झरने तक पहुँचने का यही एकमात्र रास्ता है जो काफी मुश्किलो एवं प्रकृतिक थपेडों के बावजूद चार स्तरों वाले इस जलप्रपात की यात्रा अत्यधिक रोमांचकरी एवं यादगार बन जाती है। आप को दूध सागर जाने के लिए मोलेम राष्ट्रीय उद्यान से होकर लगभग 45 मिनट तक का समय लगता है
मोलेमराष्ट्रीय उद्यान और भगवान महावीरवन्य जीव अभ्यारण्य
मोलेमराष्ट्रीय उद्यान तथा भगवान महावीर वन्य जीव अभ्यारण्य का देखभाल वनविभाग द्वारा किया जाता है, यहा वन्यजीवों की विविध एवं दुर्लभ प्रजातिया पायी जाती है पशु-पक्षीयो की भी अनेक प्रजातियाँ आपको यहा देखने को मिल जायेगी। पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ जैसे : ड्रोंगो, एमेरल्ड कबूतर, फेयरी ब्लूबर्ड, गोल्डन ओरियल, ग्रेटर इंडियन हॉर्नबिल, भारतीय काले कठफोड़वा, मालाबार ग्रे सींगबिल, मालाबार, हॉर्नबिल पीईड, ग्रे-प्रचा मन्ना, ग्रे जंगल फ़ॉवल, लार्ज हरा बारबेट, स्वर्ग फ्लाईकचर, रैकेट-टेल्ड डोंगो, रूबी-गलेदार पीले बुलबुल (गोवा राज्य पक्षी), श्रीकेस, तीन पंजे वाले किंगफिशर, श्रीलंका फ्रोगमाउथ, वाग्टेल्स यह अभयारण्य में काफी कुछ पक्षी हैं जो भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्थानिक हैं, यह स्थान पक्षी विज्ञानियों के लिए स्वर्ग के समान है।
यहां पाये जाने वाले पशुओं में काले तेंदुए,बार्किंग हिरण, बंगाल टाइगर, तेंदुआ, बोनट मकाक, आम लंगूर, सिविट, फ्लाइंग गिलहरी, गौर, मालाबार विशालकाय गिलहरी, माउस हिरण, पैंगोलिन, साही, पतला लोरिस , सांबर, चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर और जंगली कुत्ते।
पशुओं एवं पक्षियों के साथ-साथ यहां तितलियों कि भी प्रजातियाँ बहुतायत में पायी जाती हैं जैसे- ब्लू मॉर्मन, कॉमन ईज़ेबेल, कॉमन मॉर्मन, कॉमन मोम, प्लम जुडी, कॉमन वाँडरर, क्रिमसन रोज़, नींबू तितली, सादा टाइगर, साउर्ड बर्डविंग और टेल जैय। मालाबार ट्री नैम्फ और तमिल योमन जैसी स्थानिक प्रजातियां इन सब के साथ-साथ यहा के सरीसृप के लिए भी जाना है जैसे यह अभयारण्य अपने सांपों के लिए प्रसिद्ध है, विशेष रूप से राजा कोबरा यहां भी हैं: कांसेबैब का पेड़ साँप, बिल्ली सांप, कूबड़ना वाला गाना सांप, भारतीय रॉक अजगर, मालाबार गेट वाइपर, चूहे सांप, रसेल वाइपर, भारतीय कोबरा और आम क्रेट आदि।
इसी क्षेत्र मे एक और महत्वपूर्ण स्थान है जिसका नाम है डेविल घाटी, शैतान के घाटी को कोंकणी में ‘देवचर्चो कोंड‘ के नाम से भी जाना जाता है, मोलेम के निकट एक खूबसूरत नदी की कण्ठ है, जहां जंगल के एक सुंदर पैट में स्थित है जहां नदी बहुत अशांति के साथ बहती है और ठोस चट्टानों में गहरी घाटी में कटौती करती है। यह फिसलन चट्टानों के कारण तैराकों के लिए आत्मघाती है, मजबूत अंडरकेर्रेट्स और उथल-पुथल गहराई है।
आपको मोल्लेम सनसेट पाइंट देखने के लिए साइकिल से यात्रा करनी पड़ेगी जो आपको अभ्यारण्य से ही किराये पर मिल जायेगी
गोवा में मसालों के उद्यान
गोवा में मसालों के बाग़ान पोंडा तालुका मे केरी में है जहा पे आपको विभिन्न प्रकार के मसालों एव वनस्पतियों की प्रजातियाँ देखने को मिलेगे।वहां पे आगन्तुको का स्वागत उनकी परम्पराअनुसार हर्बल चाय पिला कर करते हैं वहा मार्गदर्शक दारा अनेक प्रकार के मसालों के पेड़ जैसे -सुपारी,लौंग,काली मिर्च, दालचीनी,जायफल, विनीला आदि के पेड़ तथा अन्य मसालों के पेड़ भी मिल जायेगे अपने प्राकृतिक अवस्थाओ में।इस टूर में आपको दोपहर के खाने मी गोआन भोजन भी केले के पत्तों पे परोसा जायेगा।
बगीचे में आप हाथी देखने एवं सवारी करने का भी आनन्द उठा सकते है हाथी स्नान भी कर सकते है जिसका आपको अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा
कृपया ध्यान दे: यदि आप हाथी सवारी या हाथी स्नान का अनुभव लेना चाहेंगे तो आपको अतिरिक्त शुल्क का भुगतान तुरंत ही करना पडेगा।
ओल्ड गोवा के चर्च
आपको मसालों के बागानों को देखने एवं गोवा के शानदार पारम्परिक भोजन बुलेट खाने के बाद आपको ओल्ड गोवा के चर्चों को दिखाने के लिए ले जायेगे जो युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित कियागयाहै ।
बेसीलिका ऑफ बोम जीसस
- इस चर्च का निर्माण 1594 ई में प्रारंभ हुआ तथा1605 में पूर्ण हुआबेसीलिका ऑफ बोम जीसस का उद्घाटन 1605 में फ़ादर एलेक्सियो दे मेनेज़ेस ने किया तथा यह लगभग 400 साल पुराना है
- यह चर्च इस क्षेत्र में ईसाई धर्म लाने के लिये ज़िम्मेदार “सेंट फ्रांसिस जेवियर” का घर है और यह चर्च संपूर्ण विश्व से हजारों ईसाई या गैर ईसाई पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है,
- बोम जीसस से तात्पर्य है अच्छा जीसस(यीशु) या शिशु जीसस(यीशु), जिसे वे अनिवार्य रूप से समर्पित थे।
- यह पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिये प्रतिदिन खुला रहता है। चर्च के अंदर तीर्थयात्री पूजा कर सकते हैं और जटिल कलाकृतियों का भ्रमण कर सकते हैं जो सेंट फ्रांसिस जेवियर के जीवनकाल का वर्णन करती हैं।
- मकबरे का अधिकांश भाग 17 वीं शताब्दी के एक मूर्तिकार गिओवंनी बततिस्ता फोग्गिनी द्वारा बनाया गया है। पूरा चर्च जेसुइट वास्तुकला के सिद्धांतों पर बनाया गया है।
से कैथेड्रल ऑफ सेंटा कैटरीना
इस कैथेड्रल का निर्माण 1510 में किया गया था जब पुर्तगालियों ने मुग़ल सेना से गोवा को छीन कर अपने कब्ज़े में कर लिया था। इस विजय की याद में इसका निर्माण किया गया। क्योंकि पुर्तगाली सेना की जीत उस दिन हुई जब कैथरीन की दावत थी अत: यह चर्च उसको समर्पित कर दिया गया।
अलेक्जेंड्रिया के कैथरीन को समर्पित से कैथेड्रल ऑफ सेंटा कैटरीना भारत का सबसे बड़ा चर्च है। इस चर्च की लंबाई 250 फीट, चौड़ाई 181 फीट और ऊँचाई 115 फीट है। इसका अर्थ है दस मंजिल से भी ज़्यादा! चर्च के अंदर आप एक शानदार वेदी देख कर अचंभित हो सकते हैं जो अलेक्जेंड्रिया की कैथरीन को समर्पित है। टॉवर की ओर देखें, और आपको गोवा की सबसे बड़ी और सबसे मधुर घंटी की झलक मिलेगी जिसे इसकी आवाज़ की गुणवत्ता के कारण गोल्डन बेल भी कहा जाता है। मुख्य प्रार्थनालय के दाहिनी ओर एक क्रॉस ऑफ मिरेकल्स है जहाँ 1919 में जीसस क्राइस्ट आश्चर्यजनक रूप से प्रकट हुए थे
अन्य जलप्रपात (झरने)
यहां पर दूधसागर के अतिरिक्त कई और छोटे वाटरफॉल भी है ताम्बदी सुरला मे, इन वाटरफॉल पर पहुंचना काफी जोखिम भरा है इसके खड़ी घुमावदार चट्टानों वाले रास्तों कारण वहा पहुच पाना अत्यंत दुर्लभ है यहा पर सुरक्षित जाने के लिए एक कुशल मार्गदर्शक की आवश्यक होता है
दूधसागर जाने का एक दिन का शुल्क एवं अन्य अतिरिक्त चार्ज-
- यहां जाने का एक दिनका शुल्क 1799 वयस्को के लिए (बुकिंग करे )
- 3-5 वर्ष के बच्चों के लिए 500
इस पैकेज मे दी जाने सुविधाओं में निम्न बाते शामिल है –
- आपको होटल से दूधसागर तक ले जाने और वापस छोड़ने के लिए वाहन सुविधा, वाहन में आपके साथ दुसरे सहयात्री भी होगे, एसी ट्रांसपोर्टीग।
- जीप सफारी ।
- मसाला उद्यान मे मार्गदर्शक साथ में , दोपहर मे पारम्परिक गोआ भोजन।
- ओल्ड गोवा चर्च देखने एवं सभी जगह लगने वाले प्रवेश शुल्क शामिल हैं
- यदि आप चाहेंगे तो आपको तैराकी के लिए सुरक्षित जैकेट भी प्रदान की जाएगी।
- इस पैकेज मे नाश्ता ,तैराकी के लिए कपड़े, पेय पदार्थ , तथा कैमरे की फीस शामिल नही है।
- इस यात्रा का परिचालन अक्टूबर से मई के बीच मे किया जायेगा ।
- सभी यात्रीयो को केवल कलंगुट,बागा, एरपोरा कैंडोलिम बीच, नागोआ, सिंकेरिम एवं नरुला बीच, आदि क्षेत्रो के होटलों से की गयी बुकिंग से ही ली जायेगी।
- आप इस यात्रा से सम्बंधित कोइ भी जानकारी बिना किसी परेशानी के किसी भी समय पूछ सकते है, हम आपकी सेवा मे तत्पर है।
यात्रा में पहनावा एवं आवश्यक सामान
यात्रा मे आरामदेह सुरक्षित मोटे कपड़े पहने और हाइकिग बूट या स्नीकर सनस्क्रीन क्रिम और एक अतिरिक्त कपड़े साथ मे रखिये तथा यात्रा मे चप्पल ना पहने। साथ मे अपना टावल , धूप से बचनेके लिए टोपी एवं सनग्लासेज भी साथ रखे।
समीक्षा –
यह यात्रा आपको निश्चित ही गोवा के दूसरे मुखौटे को देखने का अच्छा अवसर प्रदान करेगी जहा झरने से चारो तरफ़ बिखरता शीतल जल एवं सूर्य के प्रकाश की छटा मे पूरा दिन बिताने का अदभुत अनुभव होगा तथा यह आपके लिए शैक्षिक यात्रा भी साबित होगी जहाँ गोवा में प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु पेड़ पौधे औषधिय वनस्पतियों तथा पशुओं के बारे मे भी जानकारीया प्राप्त होगी
सुरक्षा सुझाव
कृपया जंगल में बन्दरो को कुछ खिलाने की कोशिश ना करें क्योंकि वो जंगली है और आप पर आक्रामक हो सकते है
यदि आप तैरना नही जानते है या बहुत अच्छे तैराक नही है तो तैराकी करते समय या पानी में चलते समय सावधान रहे तथा गाइड से तैराकी के लिए सुरक्षित स्थान के बारे मे जानकारी प्राप्त कर ले।
विनम्र निवेदन है
कृपया साफ सफाई का ध्यान रखें अपने साथ एक कैरी बैग रखे जिसमें कूडा करकट निस्तारण करे तथा डस्टबिन मे डाले ।